सुप्रीम कोर्ट के जज का नोटबंदी पर प्रहार - Ek Aawaz, India's Top News Portal, Get Latest News, Hindi samachaar, today news, Top news

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Tuesday 2 April 2024

सुप्रीम कोर्ट के जज का नोटबंदी पर प्रहार


नई दिल्ली,
केंद्र सरकार द्वारा 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के नोट को तुरंत प्रचलन से बाहर कर दिया था। तब सरकार ने कहा था, 86 फ़ीसदी करंसी 500 और 1000 रुपए के नोट के रूप मे है। इसको बंद करने से काला धन समाप्त होगा। नक्सलवाद और आतंकवाद की समस्या उसका निराकरण होगा। सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान जज बीवी नागरत्ना ने हाल ही में छात्रों को संबोधित करते हुए नोटबंदी को असंवैधानिक बताया है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने नोटबंदी के फैसले को बहुमत के आधार पर सही ठहराया है। इस बैच में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल थी। उन्होंने फैसले में अपनी सहमति न देते हुए उस समय भी अलग फैसला लिखा था। उनका मानना है, सरकार ने बिना किसी प्रक्रिया के पालन किये यह निर्णय लिया था। लोगों को काफी तकलीफ उठानी पड़ी। संसद में भी इस विषय पर चर्चा नहीं की गई। असंवैधानिक तरीके से लिए गए इस निर्णय का सरकार को कोई फायदा भी नहीं हुआ। 99 फ़ीसदी से ज्यादा करंसी रिजर्व बैंक में वापस आ गई। एक तरह से नोटबंदी का फायदा उन लोगों ने उठाया है। जिनके पास काला धन था। नोटबंदी के बाद उनका काला धन सफेद धन के रूप में परिवर्तित हो गया?सरकार ने 500 और ₹1000 के नोट बंद किए थे। उसके एवज में ₹2000 के नोट प्रचलन में लाये गए। उसे भी अब बंद कर दिया गया है।

राज्यपालों की संवैधानिक भूमिका?

हैदराबाद के ला छात्रों के बीच में न्यायमूर्ति नागरत्ना का उद्बोधन हुआ। उन्होंने कहा हाल ही में राज्यपालों की जो भूमिका देखने को मिल रही है। वह असंवैधानिक है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस तरह के मामलों की बाढ़ आ गई है।राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच में जो विवाद सामने आए हैं। वह चिंता बढाने वाले हैं। उन्होंने कहा राज्यपाल का पद गंभीर संवैधानिक पद है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि समय आ गया है, संविधान के अनुरूप राज्यपाल किस तरह से काम करें, यह बताना जरूरी हो गया है।

जिस नोटबंदी के मुकदमे को समाप्त मान लिया गया था।पांच जजों की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति बीवी रत्ना द्वारा एक बार फिर इस मामले को तूल दे दिया है। आगे चलकर नोटबंदी का यह मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के रूप में सामने आ सकता है। नोटबंदी के निर्णय के पश्चात केंद्र सरकार, रिज़र्व बैंक और आयकर की भूमिका पर यह विवाद अभी भी खड़ा हुआ है। आयकर विभाग ने उस समय जिन लोगों ने सीमा से अधिक पैसा जमा कराया था। आयकर की नियमों का पालन नहीं किया गया।उनके खिलाफ जांच की जानी चाहिए थी। इस तरह की जांच के कोई परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। इसमें आयकर विभाग और रिजर्व बैंक की भूमिका आज भी महत्वपूर्ण है।